301. दिलों में खोट है ज़ुबां से प्यार करते हैं बहुत से लोग दुनिया में यही व्यापार करते हैं
302. मेरी आँखों से बहने वाला ये आवारा सा आसूँ पूछ रहा है पलकों से तेरी बेवफाई की वजह।
303. ये आँखें हैं जो तुम्हारी , किसी ग़ज़ल की तरह खूबसूरत हैं कोई पढ़ ले इन्हें अगर इक दफ़ा तो शायर हो जाए|
304. मुझ से पत्थर ये कह कह के बचने लगे , तुम ना संभलोगे ठोकरें खा कर |
305. मेरी मोहब्बत सच्ची है इसलिए तेरी याद आती है, अगर तेरी बेवफाई सच्ची है तो अब याद मत आना।
306. अकेले हम बूँद हैं, मिल जाएं तो सागर हैं अकेले हम धागा हैं, मिल जाएं तो चादर हैं अकेले हम कागज हैं, मिल जाए तो किताब हैं।
307. पडेगा हम सभी को अब खुले मैदान मे आना घरों मे बात करने से ये मसले हल नही होंगे |
308. वो रात दर्द और सितम की रात होगी, जिस रात रुखसत उनकी बारात होगी, उठ जाता हूँ मैं ये सोचकर नींद से अक्सर, कि एक गैर की बाहों में मेरी सारी कायनात होगी!!
309. प्यार कहो तो दो ढाई लफज़, मानो तो बन्दगी , सोचो तो गहरा सागर,डूबो तो ज़िन्दगी , करो तो आसान ,निभाओ तो मुश्किल , बिखरे तो सारा जहाँ ,और सिमटे तो ” तुम “ |
310. पालते हैं वे कबूतर पर कतरने के लिए, ताकि बेबस हों उन्हीं के घर उतरने के लिए |
311. टूटे हुए प्याले में जाम नहीं आता, इश्क़ में मरीज को आराम नहीं आता, ये बेवफा दिल तोड़ने से पहले ये सोच तो लिया होता, की टुटा हुआ दिल किसी के काम नहीं आता!!
312. कुछ रिश्तों को कभी भी नाम ना देना तुम इन्हें चलने दो ऐसे ही इल्ज़ाम ना देना तुम ॥ ऐसे ही रहने दो तुम तिश्नग़ी हर लफ़्ज़ में के अल्फ़ाज़ों को मेरे अंज़ाम ना देना तुम ॥
313. मैं छुपाना जानता तो जग मुझे साधू समझता शत्रु मेरा बन गया है छलरहित व्यवहार मेरा |
314. गम इस बात का नही कि तुम बेवफा निकली, मगर अफ़सोस ये है कि, वो सब लोग सच निकले, जिनसे मैं तेरे लिए लड़ा करता था!!
315. मुझसे नफरत करके भी खुश ना रह पाओगे, मुझसे दूर जाकर भी पास ही पाओगे , प्यार में दिमाग पर नहीं दिल पर ऐतबार करके देखिये , अपने आप को रोम – रोम में बसा पाएँगे।
316. सुना था तेरी महफिल में सुकूने-दिल भी मिलता है, मगर हम जब भी तेरी महफिल से आये, बेकरार आये |
317. कोई भी नही यहाँ पर अपना होता, इस दुनिया ने यह सिखाया है हमको, उसकी बेवफ़ाई का ना चर्चा करना, आज दिल ने यह समझाया है हमको!
318. दुनिया की भीड़ में तुझे याद कर सकूँ कुछ पल , अजनबी राहों की तरफ कदम मोड़ता हूँ।
319. गरीबी थी जो सबको एक आंचल में सुला देती थी अब अमीरी आ गई सबको अलग मक़ान चाहिए |
320. आपने तो की थी दिल्लगी मगर, हम तो दिल अपना तोड़ बैठे, आपने समझा प्यार को खेल मगर, हम तो गमो से नाता जोड़ बैठे!!
321. नशा था उनके प्यार का , जिसमें हम खो गए , उन्हें भी पता नहीं चला कि कब हम उनके हो गए।
322. दर्द के सिवा कभी कुछ न दिया, गज़ब के हमदर्द हो आप मेरे |
323. यह माना के मुहब्बत करना है जुर्म मगर, यह जुर्म यारो बार बार करते हैं हम, वो बेवफा है संगदिल हैं जानते है मगर, उनपर यारो आज भी ऐतबार करते हैं हम!!
324. लिख दूँ तो लफज़ तुम हो , सोच लूँ तो ख्याल तुम हो , माँग लूँ तो मन्नत तुम हो , और चाह लूँ तो मोहब्बत भी तुम ही हो।
325. ना जाने वो बच्चा किससे खेलता होगा वो जो मेले में दिन भर खिलौने बेचता हैं |
326. कभी देखा है अंधे को किसी का हाथ पकड़ कर चलते हुए, मैने मोहब्बत में ‘तुझपे’ कुछ यूँ भरोसा किया था!!
327. कितने चेहरे हैं इस दुनिया में, मगर हमको एक चेहरा ही नज़र आता है, दुनिया को हम क्यों देखें, उसकी याद में सारा वक़्त गुज़र जाता है।
328. तेरी महफ़िल से उठे तो किसी को खबर तक ना थी, तेरा मुड़-मुड़कर देखना हमें बदनाम कर गया।
329. जिस फूल की परवरिश हम ने अपनी मोहब्बत से की, जब वो खुश्बू के क़ाबिल हुआ तो औरो के लिए महकने लगा!!
330. हर शख्स को दिवाना बना देता है इश्क जन्नत की सैर करा देता है इश्क दिल के मरीज हो तो कर लो महोब्बत हर दिल को धड़कना सिखा देता है इश्क |
331. परिन्दों की फ़ितरत से आए थे वो मेरे दिल में। ज़रा पंख निकल आए तो आशियाना छोड दिया॥
332. मैं नहीं जानता प्यार मैं बेवफ़ाई क्यू मिलती है पर, इतना जरूर जानता हूँ, जब दिल भर जाए तो लोग छोड़ देते हैं!!
333. एक सुकून सा मिलता है. तुझे सोचने से भी. फिर कैसे कह दूँ मेरा इश्क़ बेवजह सा है |
334. ख्वाब ख्याल, मोहब्बत, हक़ीक़त, गम और तन्हाई, ज़रा सी उम्र मेरी किस-किस के साथ गुज़र गयी !!!
335. दिलवाले तो और भी होंगे तुम्हारे शहर में मगर, हमारा अंदाज़-ए-वफ़ा तुम्हे हमेशा याद आएगा!!
336. बहुत दिनों बाद तेरी महफ़िल में कदम रखा है , मगर नजरो से सलामी देने का तेरा अंदाज़ नही बदला
337. दान देना ही आमदमी का एकमात्र व्दार है।
338. हमने तो अपनी मोहब्बत का इज़हार किया, मगर उसने फिर भी ना हमारा एतबार किया, मैं तो जहाँ से लड़ा, एक उसकी खातिर, उस बेवफा ने शिकवा फिर भी हज़ार किया!!
339. कुछ तुम कहो, कुछ हम कहे,और एक कहानी बन जाये एक रोज़ पड़ेंगे लोग इन्हे , और मिसालें हमारी बन जाये
340. यदि किसी युवती के दोष जानना हों, तो उसकी सखियों में उसकी प्रशंसा करो।
341. जैसा करोगे आप वैसा ही पाओगे सदा, आज सबके होठो पर यह सच्चाई मिली, मगर कैसे मान लूँ मैं इस बात को सच, मुझको तो वफ़ा के बदले बेवफ़ाई मिली!!
342. दिल के पास आपका घर बना लिया , ख्वाबों में आपको बसा लिया , मत पूछो कितना चाहते हैं आपको , आपकी हर खता को अपना मुक्कद्दर बना लिया।
343. पैसा आपका सेवक है। यदि आप उनका उपयोग जानते हैं; वह आपका स्वामी है। यदि आप उसका उपयोग नहीं जानते।
344. भुला देंगे तुमे भी, ज़रा सबर तो कीजिए, तुम्हारी तरह बेवफा होने मे थोड़ा वक़्त तो लगेगा!!
345. तेरा इंतज़ार मुझे हर पल रहता है , हर पल मुझे तेरा एहसास रहता है , तुझ बिन धड़कन रुक सी जाती है , क्यूंकि तू मेरे दिल में धड़कन बन कर रहता है।
346. दुसरे के दोष पर ध्यान देते समय हम स्वयं बहुत भले बन जाते हैं। परंतु जब हम अपने दोषों पर ध्यान देंगे। तो अपने आपको कुटिल और कामी पाएँगे।
347. बड़ा शौक़ था उन्हे मेरा आशियाना देखने का, जब देखी मेरी गरीबी तो रास्ता बदल लिया!!
348. मेरी दीवानगी की कोई हद्द नहीं , तेरी सूरत के सिवा कुछ याद नहीं , मैं हूँ फूल तेरे गुलशन का , तेरे सिवा मुझपर किसी का हक्क नहीं।
349. जब तक तुममें दूसरों के दोष देखने की आदत मौजूद है। तब तक तुम्हारे लिए ईश्वर का साक्षात्कार करना अत्यन्त कठिन है।
350. में जानता हूँ की उसके बिना जी नही पाऊंगा, हाल उसका भी यही है मगर किसी ओर के लिए!!
351. तेरी खुशियों पर मुस्कराने को जी चाहता है , हो तुझे दर्द तो उदास होने को जी चाहता है , तेरी मुस्कराहट ही इतनी प्यारी है कि , तुझे बार बार हसाने को जी चाहता है।
352. ज्ञानवान मित्र ही जीवन का सबसे बड़ा वरदान है।
353. तेरी मोहब्बत भी किराए के घर की तरह थी, कितना भी सजाया, पर मेरी ना हुई…
354. मेरे जीने के लिए तेरा अरमान ही काफी है, दिल की कलम से लिखी ये दास्तान ही काफी है , तीर – तलवार की क्या ज़रूरत है तुझे ऐ हसीन , क़तल करने के लिए तेरी मुस्कान ही काफी है।
355. मुँह के सामने मीठी बातें करने और पीठ पीछे छुरी चलानेवाले मित्र को दुधमुँहे विषभरे घड़े की तरह छोड़ दो।
356. कुछ अजब रंग से गुज़री है ज़िंदगी अपनी, दिलों पे राज किया फिर भी प्यार से महरूम रही, हम वफ़ा कर के भी बन गये मुजरिम, वो दगा देके भी मासूम रही!!
357. आप खुद भी नहीं जानती आप कितनी प्यारी हो जान तो हमारी हो पर जान से प्यारी हो , दूरियां होने से कोई फरक नहीं पड़ता , आप कल भी हमारी थी और आज भी हमारी हो।
358. सच्चे मित्र को दोनों हाथों से पकड़कर रखो।
359. मुहब्बत ने आज हुमको रुला दिया, जिस पर मरते थे उस ने ही भुला दिया, हम भी उस की याद भूलने क लिए पीते गये, एक दिन बेवफा ने उस मे भी ज़हर मिला दिया!!
360. परवाह उसकी कर जो तेरी परवाह करे , ज़िन्दगी में जो कभी तनहा ना करे , जान बन कर उतर जा उसकी रूह में , जो जान से भी ज्यादा तुझसे प्यार और वफ़ा करे।
361. उस काम को, जिसे तुम दुसरे व्यक्ति में बुरा समझते हो, स्वयं त्याग दो परंतु दूसरों पर दोष मत लगाओ।
362. उनकी चाहत मे दिल मजबूर हो गया, बेवफ़ाई करना उनका दस्तूर हो गया, कसूर उनका नही मेरा था, हमने चाहा ही इतना की उनको शायद गुरूर हो गया!!
363. हमदम तो साथ चलते हैं , रास्ते तो बेवफ़ा बदलते हैं , तेरा चेहरा है जब से आँखों में , मेरी आँखों से लोग जलते हैं।
364. जब जेब में पैसे होते हैं, तो तुम बुद्धिमान और सुंदर लगते हो तथा उस समय तुम अच्छा गाते भी हो।
365. खुशी की राह मे गम मिले तो क्या करे, वफ़ा की राह मे बेवफा मिले तो क्या करे, कैसे बचाए ज़िंदगी को दगाबाजो से, कोई दिल लगा के दे जाए दगा तो क्या करे!!
366. आँखों के सामने हर पल आपको पाया है , अपने दिल में सिर्फ आपको ही बसाया है , आपके बिना हम जिए तो भी कैसे , भला जान के बिना भी कोई जी पाया है
367. धर्म तो मानव-समाज के लिए अफीम है।
368. मैं नही जानता मुझसे खफा कौन है, मैं ये जानता हू वफ़ा कौन है, वो चली तो गयी है पर पता ये करना है की ज़िंदगी ओर उसमे बेवफा कौन है!!
369. ना हथियार से मिलते है , ना अधिकार से मिलते है , दिलो में जगह अपने व्यवहार से मिलते है
370. जो चीज विकार को मिटा सके। राग-व्देष को कम कर सके। जिस चीज के उपयोग से मन सूली पर चढ़ते समय भी सत्य पर डटा रहे वही धर्म की शिक्षा है।
371. आप ने की बेवफाई, मगर मैं अभी वफ़ा करता हूँ, कही आखो में ना आजाए आँसू, इसलिए मुस्कुराते रहता हूँ!!
372. प्यार तो जिंदगी का एक अफसाना है, इसका अपना ही एक तराना है, सबको मालूम है कि मिलेंगे सिर्फ आंसू, पर न जाने क्यों, दुनियां में हर कोई इसका दीवाना है |
373. संकट के समय धैर्य धारण करना मानो आधी लड़ाई जीत लेना है।
374. इतने ज़ख़्म खाए हुए है, अब इश्क़ भी होता नही, दर लगता है इस ज़माने में, कहीं सब बेवफा तो नही!!
375. खुशबु बनकर आपके पास बिखर जायेंगे ! हवा बनकर आपके सांसो मे सामा जायेंगे! धड़कन बनकर आपके दिल मे उतर जायेंगे!! जरा महसूस करने की कोशिश तो कीजिए! दूर रहकर भी पास नजर आएंगे!!
376. जिसे धीरज है और जो मेहनत से नहीं घबराता, कामयाबी उसकी दासी है।
377. मजबूरी में जब कोई जुदा होता है, ज़रूरी नही के वो बेवफा होता है, देख कर वो आपकी आँखो मे आँसू, अकेले मे आपसे भी ज़्यादा रोता है!!
378. तू रूठा रूठा सा लगता है , कोई तरकीब बता मनाने की , मैं ज़िन्दगी गिरवी रख दूँगी , तूँ कीमत बता मुस्कराने की।
379. अपने जीवन का ध्येय बनाओ और इसके बाद अपनी सारी शारीरिक और मानसिक शक्ति, जो भगवान ने तुम्हें दी है, उसमें लगा दो।
380. दिन हो भले ही रात हो, बस याद तेरी ही आती है, कैसे कहूं के मैं ठीक हू, यह हरदम मुझको रूलाती है, अब तो यारो खुद से भी, मुझको वफ़ा की उमीद नही, मोहब्बत ऐसी सही है यारो, जिसे सकते कभी खरीद नही!!
381. ना वो कभी आ सके ना हम कभी जा सके , ना दर्द दिल का किसी को सुना सके , बस खामोश बैठे हैं उनकी यादों में , ना उन्होंने याद किया ना हम उनको भूला सके।
382. महान ध्येय महान मस्तिष्क की जननी है।
383. दिल के दरिया मे धड़कन की कश्ती है, ख्वाबो की दुनिया मे यादो की बस्ती है, मोहब्बत के बाज़ार मे चाहत का सौदा, वफ़ा की कीमत से तो बेवफ़ाई सस्ती है!!
384. प्यार किया बदनाम हो गए, चर्चे हमारे सरेआम हो गए, ज़ालिम ने दिल उस वक़्त तोडा, जब हम उसके गुलाम हो गए
385. चाहे धैर्य थकी घोड़ी हो, परंतु फिर भी वह धीरे-धीरे चलेगी अवश्य।
386. पत्थरों से प्यार किया नादान थे हम, ग़लती हुई क्यू के इंसान थे हम, आज जिन्हे नज़रे मिलने मे तकलीफ़ होती है, कभी उसी शख्स की जान थे हम!!
387. ज़माने से नहीं, तन्हाई से डरते हैं, प्यार से नहीं, रुसवाई से डरते हैं, मिलने की उमंग है दिल में लेकिन, मिलने के बाद तेरी जुदाई से डरते हैं
388. जो अपने लक्ष्य के प्रति पागल हो गया है, उसे ही प्रकाश का दर्शन होता है। जो थोड़ा इधर, थोड़ा उधर हाथ मारते हैं, वे कोई लक्ष्य पूर्ण नहीं कर पाते। वे कुछ क्षणों के लिए बड़ा जोश दिखाते है; किन्तु वह शीघ्र ठंडा हो जाता है।
389. लगे हे इल्ज़ाम दिल पे जो मुझ को रुलाते है, किसी की बेरूख़ी और किसी और को सताते हे, दिल तोड़ के मेरा वो बड़ी आसानी से कह गये अलविदा, लेकिन हालात मुझे बेवफा ठहराते है!!
390. बिन बात के ही रूठने की आदत है; किसी अपने का साथ पाने की चाहत है; आप खुश रहें, मेरा क्या है; मैं तो आइना हूँ, मुझे तो टूटने की आदत है।
391. हमारा ध्येय सत्य होना चाहिए, न कि सुख।
392. खा कर ज़ख़्म दुआ दी हमने, बस यूही उमर बीता दी हमने, देख कर जिसको दिल दुखता था, आज वो तस्वीर जला दी हमने!!
393. घर से बाहर कोलेज जाने के लिए वो नकाब मे निकली, सारी गली उनके पीछे निकली, इनकार करते थे वो हमारी मोहबत से, और हमारी ही तसवीर उनकी किताब से निकली |
394. मनुष्य के लिए निराशा के समान दूसरा पाप नहीं है। इसलिए मनुष्य को इस पापरुपिनी निराशा को समूल हटाकर आशावादी बनना चाहिए।
395. एक दिन हम आपसे इतनी दूर हो जाएँगे, के आसमान के इन तारो मे कही खो जाएँगे, आज मेरी परवाह नही आपको, पर देखना एक दिन हद से ज़्यादा हम आपको याद आएँगे!!
396. उसे भूल कर जिया तो क्या जिया , दम है तो उसे पाकर दिखा , लिख पथरों पर अपनी प्रेम कहानी , और सागर को बोल , दम है तो इसे मिटाकर दिखा.
397. कष्ट और क्षति सहने के पश्चात् मनुष्य अधिक विनम्र और ज्ञानी हो जाता है।
398. अंजाने में हम अपना दिल गवां बैठे, इस प्यार मे कैसा धोखा कर बैठे, उनसे क्या गिला करे… भूल हमारी थी, जो बिना दिलवालों से दिल लगा बैठे!!
399. जहाँ याद न आये तेरी वो तन्हाई किस काम की; बिगड़े रिश्ते न बने तो खुदाई किस काम की; बेशक़ अपनी मंज़िल तक जाना है हमें; लेकिन जहाँ से अपने न दिखें, वो ऊंचाई किस काम की।
400. उड़ने की अपेक्षा जब हम झुकते हैं तब विवेक के ज्यादा नजदीक होते हैं।